उत्तराखंड के लिए रेल बजट का मतलब

राजीव रावत
एंकर-उत्त्रारखंड में पूर्व स्वीकूत ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन को मोदी सरकार के नए रेल बजट में बद्री-केदार रंेल लाईन के सर्वे की धोषणा के साथ नए नाम से मंजूरी दी है, जो लोग उत्तराख्ंांड का भुगोल नही जानते वो इसे चारधाम तक रेलनैटर्वक के रूप में देखंेंगे लेकिन देवभूमि को समझने वाला इस बात को जानता है कि पूरानी स्वीकृत कर्णप्रयाग रेल लाईन का मतलब बद्री-केदार ही है। इस लाईन का पहला सर्वे अग्रेजों ने किया था बाद में सतपाल महाराज के प्रयासों से पिछली कांग्रेस सरकार ने कर्णप्रयाग में इसका शिलान्यास भी किया लेकिन राज्य की तात्कालीन भाजपा सरकार नें भूमि हस्तान्तरण की प्रक्रिया पूरी नही की।
शिलान्यास के बाद इस रेल लाईन पर इस बजट में निर्माण के लिए धन की उम्मीद थी लेकिन नए सर्वे की बात कहकर मोदी सरकार ने पूर्व स्वीकृति पर एक तरह से प्रश्न खड़ा कर उसे खारिज करने का संकेत दिया है। खैर रेल बजट से पहले उत्त्राखंड के सीएम ने हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में 11 नई रेल लाईन निर्माण की मांग की थी। इनमें से कुछ की स्वीकृति भी मिली हुई है जिनमें से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग, टनकपुर-बागेश्वर, रामनगर-चैखुटिया  रेल लाईन को गैरसैण तक बढ़ाये जाने का राज्य सरकार ने केन्द्र को प्रस्ताव भी दिया था। साथ ही हरीश रावत ने टनकपुर-जौलजीवी, ऋषिकेश-डोईवाला डाइरेक्ट लिंक एवं हल्द्वानी-चोरगलिया, हल्द्वानी रीठा साहेब, पीरान कलियर-रूड़कीध्हरिद्वार, देहरादून-पुरोला, देहरादून-कालसी, मुजफ्फरनगर-रूड़की परियोजनाएं को स्वीकृत करने की मांग भी नरेन्द्र मोदी से की थी। इसके साथ ही उत्त्राखंड की रेललाईन को डबल ट्रैक करने और नए रेल ओवर ब्रिज बनाने की मांग भी सालों से लम्बित है।
नए रेल बजट में चारधाम और बद्री-केदार के जिस सर्वे की बात है उसमें अधिकारिक तौर पर चारधाम तक सपंर्कता लिखा गया है, और संपर्कता का मतलब देहरादून भी है और ऋषिकेश, कोटद्वार भी, सर्व की धोषणा में बद्रीनाथ, केदारनाथ तक रेल लाईन के सर्वे के बजाय सपंर्कता क्यों लिखा गया इसे तो मोदी और भाजपा वाले ही समझा पाएगें, लेकिन दोहरीकरण के लिए जिन 10 लाईनों के सर्वे की धोषणा की गई है, उत्त्राखंउ को उसमें जगह नही मिली है। खैर ये अच्छे दिनों की पदचाप है और वो भी उस राज्य में जिसने मोदी को लोकसभा की सभी सीटें जिताकर दी
राजीव रावत, देहरादून

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