टिहरी-मूड मतदाता का(1)-मनमोहन फैक्टर कांग्रेस के खिलाफ


मनमोहन फैक्टर कांग्रेस के खिलाफ 

टिहरी उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने अपने प्रत्याषी मैदान में उतार दिए हैं एक तरफ बहुगुणा परिवार का युवराज है तो दूसरी तरफ राजवंष की महारानी। देष के सर्वोच्च सदन में इन्ही दो में से एक का जाना तय है, लेकिन विडम्बना ये है कि इनमे से किसी ने भी ग्राम सदन तक के दर्षन नही किये है। राजनीति से कोसों दूर रहे इन दोनों प्रत्याषीयों के कारण योग्यता इस चुनाव में वोट का पैमाना षायद ही बन पाए।
तो फिर क्या होंगे वोट के पैमाने। जनसदन में इस सवाल के साथ हम जनमानस से बात कर रहै है। हमने सवाल किया कि क्या है देष का मूड और क्या देष के मूड की तरफ ही टिहरी की जनता का भी मूड है। इस अभियान के जो षुरूआती संकेत मिले है वो सत्ताधारी कांग्रेस के लिए चिंताजनक हो सकते है। 6 सिलेण्डरो के बाद सातवां सिलेण्डर अब दोगुने दाम पर मिलेगा... डीजल के दाम बढ़ने के बाद अब बस और टैक्सी भाड़े के साथ ही मालभाड़ा भी 15 फीसदी तक बढ़ाया जा रहा है। ट्रांसपोर्टेषन लागत बढ़ते ही आम उपभोक्ता वस्तुओं के दाम भी बढ़ रहे है। साफ तौर इसने आम आदमी को आम आदमी की ही  सरकार से बिदकाकर रख दिया है। उपर से कोयले के कालिख से कांग्रेस का हाथ पहले ही काला हो रखा था कि खुदरा बाजार में एफडीआई के प्रवेष से व्यापारी वर्ग भी कांग्रेस से बिदक गया है। दर्षको से ली गई राय में पहला संकेत मनमोहन की सरकार के खिलाफ है।
यह चुनाव एैसे दौर में हो रहा है जब देष में भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे और बाबा रामदेव ने जनगोलबन्दी कर रखी है। गांव गली की नजर अब दिल्ली दरबार पर लगी रहती है। खास तौर पर ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्यिोंकि उत्तराखंड का मतदाता राष्ट्रीय सोच से अभी तक प्रभावित रहा है। और जब दोनों ही दलो के प्रत्याषीयों का मतदाताओं से व्यक्तिगत जुड़ाव नही के बराबर है तो एैसे में आरम्भिक अघ्ययन तो यही कहता है कि या तो मतदाता अविष्वास और निराषा के कारण मतदान मंे रूचि नही दिखायेगें या फिर आक्रोष के कारण भारी मतदान कर अपना विरोध मनमोहन सरकार के खिलाफ करेंगे। खैर... यह राष्ट्रीय फलक की बात है। आगे हम राज्य के मुद्दो पर भी जनमानस की नब्ज टटोलेगें लेकिन एक बात तय है कि टिहरी उपचुनाव प्रत्याषी नही बरन दो दलों के बीच होगा।

(राजीव रावत) von     


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